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हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली​; कुछ यादें मेर

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली​;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली​;​
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ​;
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव​-​छाँव चली​। हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली​;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली​;​😘😘😘😘
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली​;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली​;​
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ​;
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव​-​छाँव चली​। हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली​;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली​;​😘😘😘😘

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली​; कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली​;​😘😘😘😘