रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ, बाहर में एक शैतान बैठा है। पता नहीं वह किस वेशभूषा में बैठा है? वह भूखा है , इंसानों को खाने की आस में बैठा है। पता नहीं वह किस वेशभूषा में बैठा है? रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ, बाहर में एक शैतान बैठा है। घर में रहो सुरक्षित रहो। जय हिंद।🇮🇳🇮🇳 #emptiness #poem mere dvara likha gya ek chhota ha kavita