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रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ, बाहर में एक शैतान बैठा है

रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ,
 बाहर में एक शैतान बैठा है।
पता नहीं वह किस वेशभूषा में बैठा है?
वह भूखा है ,
इंसानों को खाने की आस में बैठा है।
पता नहीं वह किस वेशभूषा में बैठा है?
रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ,
 बाहर में एक शैतान बैठा है।


घर में रहो सुरक्षित रहो।
जय हिंद।🇮🇳🇮🇳 #emptiness #poem mere dvara likha gya ek chhota ha kavita
रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ,
 बाहर में एक शैतान बैठा है।
पता नहीं वह किस वेशभूषा में बैठा है?
वह भूखा है ,
इंसानों को खाने की आस में बैठा है।
पता नहीं वह किस वेशभूषा में बैठा है?
रुको, ठहरो ,बाहर न जाओ,
 बाहर में एक शैतान बैठा है।


घर में रहो सुरक्षित रहो।
जय हिंद।🇮🇳🇮🇳 #emptiness #poem mere dvara likha gya ek chhota ha kavita