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पिता का सानिध्य तो संजीवनी है। जब भी पास बैठता हूँ

पिता का
सानिध्य तो
संजीवनी है।
जब भी पास बैठता हूँ।
मेरे दुःख-दर्द,
छू मंतर हो जाते हैं।
नई हिम्मत से,
सफलता की राह में,
प्रयास दोगुना हो जाता है।
निःशब्द हूँ। 🎀 Challenge-241 #collabwithकोराकाग़ज़

💖 Happy Fathers Day 💖

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
पिता का
सानिध्य तो
संजीवनी है।
जब भी पास बैठता हूँ।
मेरे दुःख-दर्द,
छू मंतर हो जाते हैं।
नई हिम्मत से,
सफलता की राह में,
प्रयास दोगुना हो जाता है।
निःशब्द हूँ। 🎀 Challenge-241 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।