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हमारी सोच भी कितनी सीमित होती है, ना जिससे पीछा छ

हमारी सोच भी कितनी सीमित होती है, ना 
जिससे पीछा छुड़ाने के लिए अपना सबकुछ 
बदलने की कोशिश तो काफी जोरों-सोरों 
से करते हैं, मगर कभी ये नहीं सोच पाते कि 
चाहे जो भी कर लें, जब तब खुद के मष्तिष्क को 
न बदला जाये, तब तक दुनिया के किसी भी 
कोनें में जाकर छुप जाए, कोई किसी भी प्रकार 
का उलझन हो वो सुलझ जाए इसकी 
कोई गुंजाइश नहीं..!!
###सफर की तलाश में 
यूं ही गुम हो जाए.. ये कबूल नहीं है हमको..
मगर सारी उलझनों में उलझे रहे 
यही चाह है मन को..##
*मन के हारे हार है, मन के जीते जीत*
जब तक ठान न ले मन में जुनून से 
भरे उम्मीद..ना कुछ कर पाएंगे और 
न ही आगे बढ़ पाएंगे।।
सच तो यही है, कि जगह तो 
बदल दिये जाते हैं, 
मगर मन को नहीं.. 
जिसने मन को जकड़ लिया समझो 
उसने खुद को पकड़ लिया..!!
–Shobha..💫 #OneSeason#Thought
#Shobha#Narayan_Markam
हमारी सोच भी कितनी सीमित होती है, ना 
जिससे पीछा छुड़ाने के लिए अपना सबकुछ 
बदलने की कोशिश तो काफी जोरों-सोरों 
से करते हैं, मगर कभी ये नहीं सोच पाते कि 
चाहे जो भी कर लें, जब तब खुद के मष्तिष्क को 
न बदला जाये, तब तक दुनिया के किसी भी 
कोनें में जाकर छुप जाए, कोई किसी भी प्रकार 
का उलझन हो वो सुलझ जाए इसकी 
कोई गुंजाइश नहीं..!!
###सफर की तलाश में 
यूं ही गुम हो जाए.. ये कबूल नहीं है हमको..
मगर सारी उलझनों में उलझे रहे 
यही चाह है मन को..##
*मन के हारे हार है, मन के जीते जीत*
जब तक ठान न ले मन में जुनून से 
भरे उम्मीद..ना कुछ कर पाएंगे और 
न ही आगे बढ़ पाएंगे।।
सच तो यही है, कि जगह तो 
बदल दिये जाते हैं, 
मगर मन को नहीं.. 
जिसने मन को जकड़ लिया समझो 
उसने खुद को पकड़ लिया..!!
–Shobha..💫 #OneSeason#Thought
#Shobha#Narayan_Markam