कैह डाले एहसास ज़माने भर के मैंने मैंने गमे दिल अपना कहा ही नही, पढ़ा सुना मैंने बोहतो को यहां लेकिन मुझे किसी ने पढ़ा ही नही, पढ़ा-सुना।