मरघट बोल रहा है रुक भी जाना , जरा सांस तो ले । थक गया हुं , मुजे आराम तो दे । कितनी चिताओ का बोज लिये खडा हुं। कितनी चीखो का शोर सुन रहा हुं। माना अंतिम विश्राम का ठिकाना रहा हुं, सभी के जीवन यात्रा का आयना रहा हुं। रुक भी जाना ... थक गया हुं ... समय के साथ निरंतर चलता रहा हुं। इतनी तेज रफतार से कभी ना चला हुं। मिट्टी की काया अंत में राख ही होनी है, किन्तु मेरी आग अब धीरज खो रही है। रुक भी जाना ... थक गया हुं ... ©Archana Chechani #covid19 #India