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-------: सबेरे-सबेरे:------ है शुक्र हैं वे पड़ोसी

-------: सबेरे-सबेरे:------
है शुक्र हैं वे पड़ोसी हमारे,
        कि मिलतीं हैं नज़रें सबेरे-सबेरे।
लव उनके यूं अक्स फूलों का जैसे,
          कि मिलती है खुशबू सबेरे-सबेरे।।1।।
उन्हें सब पता हम पड़ोसी हैं उनके,
            कि तबस्सुम की चोट पर चोट देते।
अभी ज़ख़्म कल के भर भी न पाए,
             कि फिर चोट खाई सबेरे-सबेरे।।
आंखें उनींदीं खुली अधखुली सी,
              मिलाते हैं जब वे सबेरे-सबेरे।
"पवन"शर्म ऐसी छुपा करके चेहरा,
               झुका लेते पलकें सबेरे सबेरे

©Pawan Yadav written by pawan yadav 
kavita
#sagarkinare
-------: सबेरे-सबेरे:------
है शुक्र हैं वे पड़ोसी हमारे,
        कि मिलतीं हैं नज़रें सबेरे-सबेरे।
लव उनके यूं अक्स फूलों का जैसे,
          कि मिलती है खुशबू सबेरे-सबेरे।।1।।
उन्हें सब पता हम पड़ोसी हैं उनके,
            कि तबस्सुम की चोट पर चोट देते।
अभी ज़ख़्म कल के भर भी न पाए,
             कि फिर चोट खाई सबेरे-सबेरे।।
आंखें उनींदीं खुली अधखुली सी,
              मिलाते हैं जब वे सबेरे-सबेरे।
"पवन"शर्म ऐसी छुपा करके चेहरा,
               झुका लेते पलकें सबेरे सबेरे

©Pawan Yadav written by pawan yadav 
kavita
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pawanyadav8528

Pawan Yadav

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