आज फिर याद आयी एक कहानी बचपन की वो कागज के खिलौने सुनहरी मिट्टी आँगन की.. जवानी का साया मिला तो ऐबों ने घेर लिया भूल गया मैं सारी बातें सयानी बचपन की.. जिसे दिया था नाम इक चोट का सभी ने बांकी है जिस्म में बस वही निशानी बचपन की.. तुतलाते बचपन का कोई मजहब नहीं होता खो गयी.. सबको एक जगह रखने वाली वो आसानी बचपन की.. एक ख्वाहिश जगी कि बचपन वापस मिले कभी फिर जी लूँगा शायद मैं वो मस्त जवानी बचपन की.. अब हर दिन ही बचपन समझकर जीता हूँ और ये खयाल भी रखता हूँ हादसा ना बन जाए कोई नादानी बचपन की.. -KaushalAlmora #बचपन #yqdidi #yqbaba #childhood #nishani #बालदिवस #childrensday #poetry