Nojoto: Largest Storytelling Platform

# "नाजायज़ ही सही पर प्यार था तुम | English Poetry

"नाजायज़ ही सही पर प्यार
था तुमसे, यहां लोगों को बेसब्री थी हमे 
अलग करने की, वहां जो भी बचा जायज़ साथ था मेरा"

न जानें क्यों ऐसा लगता है
कि हम दोनों में बस मैं ही रह
गई हूं!
अकेली थकी, गिरती, बिलखती और खुद को संभालते संभालते आज भी सह रही हूं !
missshalvisingh4044

Shalvi Singh

Silver Star
Growing Creator

"नाजायज़ ही सही पर प्यार था तुमसे, यहां लोगों को बेसब्री थी हमे अलग करने की, वहां जो भी बचा जायज़ साथ था मेरा" न जानें क्यों ऐसा लगता है कि हम दोनों में बस मैं ही रह गई हूं! अकेली थकी, गिरती, बिलखती और खुद को संभालते संभालते आज भी सह रही हूं ! #Poetry

749 Views