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© भारती विभूति (स्वरचित) तू व्यर्थ न डर अंधेरे की

तू व्यर्थ न डर
अंधेरे की अहमियत बहुत है
जरा सोचिए...
यदि अंधेरा ना होता...
उजाले की कीमत किसे पता होती?
अंधेरा अपना अस्तित्व खोकर
उजाले को समर्पण करता है..
उजाला भी पूर्ण निष्ठा से

तू व्यर्थ न डर अंधेरे की अहमियत बहुत है जरा सोचिए... यदि अंधेरा ना होता... उजाले की कीमत किसे पता होती? अंधेरा अपना अस्तित्व खोकर उजाले को समर्पण करता है.. उजाला भी पूर्ण निष्ठा से #Aurora

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