बर्तनों का ढेर मुझे बुलाता अपनी ओर, मैं चाहूँ न पास जाना, ढूँढू कोई नया बहाना, लो वाशिंग मशीन ने आवाज़ लगाई कपड़ों के खत्म हुई धुलाई, रस्सी पर अब लटकाए कौन सूखे कपडे हँसते मुझ पर मुख मौन, शाम हुई और पाँच बजे श्रीमान जी को चाय की तलब चढ़े, चाय तो बन जाएगी Snacks की ख़्वाहिश लेकिन हमसे पूरी न हो पाएगी, बच्चों की चीख दी सुनाई लगता जी भीषण हुई लड़ाई, अब इनका समझौता कौन करवाये , तर्क कुतर्कों की बारिश मेरा मन डर डर जाये, चलो, बच्चों का जिम्मा पतिदेव को देकर बर्तनों की ओर बढ़ा जाए या फिर गीले कपड़ों से मिला जाये.. #lockdowndiary #lifewithoutmaid #housewifediaries #yqdidi