हे लेखनी मेरी अधूरी सी जो प्रेम पे लिखने से डरती है, अंतरमन के भावो को कोरे कागज पर जो नहीं बिखेरती हूँ...! निष्छल प्रेम की जो अनुभूति ना हो तो चंचलता सा प्रेम कैसे दरशाएं, जो रखे खुद को प्रेम से दूर वो कैसे प्रेम पे लिख लाएं...! ©Sita Kumari #प्रेम #प्रेम_कविता #Nojoto