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*जा रहा हूँ, मैं हूँ..* *साल दो हज़ार बीस,* कैप

*जा रहा हूँ, मैं हूँ..*
 *साल दो हज़ार बीस,*

 कैप्शन पड़े *जा रहा हूँ, मैं हूँ..*
 *साल दो हज़ार बीस,*

*क्षमा करना,* 
दिलों में मत रखना कोई टीस,
 नफ़रत स्वाभाविक है,
 छीना जो है बहुत कुछ,
  बच्चों से पिता को,
*जा रहा हूँ, मैं हूँ..*
 *साल दो हज़ार बीस,*

 कैप्शन पड़े *जा रहा हूँ, मैं हूँ..*
 *साल दो हज़ार बीस,*

*क्षमा करना,* 
दिलों में मत रखना कोई टीस,
 नफ़रत स्वाभाविक है,
 छीना जो है बहुत कुछ,
  बच्चों से पिता को,