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White शक की दीवारें खुशियों का घर ढहा देती हैं, क़

White  शक की दीवारें खुशियों का घर ढहा देती हैं,
क़तरा क़तरा खून का कुछ यूँ बहा देती हैं..!

न जीने देती हैं ज़िन्दगी सुख के छाँव में,
मौत को पाने को भी कहाँ देती हैं..!

छीन लेती हैं जीवन से सुख चैन सारा,
दर बदर भटकने को सारा जहाँ देती हैं..!

न चलती हैं साँसे न रुकते हैं कदम किसी दर पे,
बेख़बर ख़ुद से यूँ ख़ुद को आँसुओ से नहा देती है..!

वृद्ध सा होने लगता है मन यूँ,
ख़ुद को फिर न होने जवाँ देती है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #City #shaq