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जब कभी पगली सी हवा लहराती है, बूंदों केे संग,जब घट

जब कभी पगली सी हवा लहराती है,
बूंदों केे संग,जब घटा इठलाती है ।
हल्की सी फुहार,मन को जब मचलाती है,
उस शाम तेरे हाथों की चाय याद आती है ।

शिवा अधूरा #चाय#मेरी_आवाज़#नोजोटो_हिन्दी
जब कभी पगली सी हवा लहराती है,
बूंदों केे संग,जब घटा इठलाती है ।
हल्की सी फुहार,मन को जब मचलाती है,
उस शाम तेरे हाथों की चाय याद आती है ।

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