दिल की ख़्वाहिश अधूरी रह गई, ज़ुबाँ पर बात कुछ ज़रूरी रह गई। इशारों-इशारों में समझे न सवाल, हसरत भी बन मजबूरी रह गई। लौटके आये नहीं तो होगी बेचैनी, सोचेंगे दिलों में कैसे दूरी रह गई। एक मुद्दत तक किया था इंतज़ार, फिर भी शिद्दत में क़ुसूरी रह गई। उनके पास काम और भी हैं 'धुन', ज़माने में मोहब्बत उबूरी रह गई। -संगीता पाटीदार 'धुन' उबूरी- अस्थाई ♥️ Challenge-631 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)