मन तो है वो पास बैठ जाए डर ये भी है की दिल मे न बैठ जाए फिर वही यादें, तन्हा रातें,अकेलापन जिंदगी दोबारा जख्म देने न बैठ जाए इश्क़ की शियासत मे हम पीछे ही रहे हैं मेरी जगह कोई दूसरा न बैठ जाए मुझे तो एक ही जगह पे है जीना मरना उनके मन कोई और शहर न बैठ जाए अमन तुम्हारी खुली आँखों के ये ख्वाब है सारे आँखे बन्द कर लो आँखों मे कोई और न बैठ जाए ©aman mishra कोई और न बैठ जाए #Love