ये सन्नाटे भरे दिन ये अंधेरे घणे रातें बैचैनी लेते करबट मन में उलझी हजारों बातें सीने में होती एक अजीब सी जो चुभन जो है नहीं उसके लिए किसी उठती जलन यूँ ऐसे तकलीफ में देख कर वो पुचकार देती अगर माँ पास होती तो हजारों बाधाओ को नजर से उतार देती ©Raushan_rosi ये सन्नाटे भरे दिन ये अंधेरे घणे रातें बैचैनी लेते करबट मन में उलझी हजारों बातें सीने में होती एक अजीब सी जो चुभन जो है नहीं उसके लिए किसी उठती जलन यूँ ऐसे तकलीफ में देख कर वो पुचकार देती अगर माँ पास होती तो हजारों बाधाओ को नजर से उतार देती