बचपन में बहुत कोशिशें की थी,मैंने बस यही जानने की, कि आखिर चंद्रमा के भीतर जो आकृति दिखाई देती है, वास्तव में वो है, क्या??... दादी कहती थी, बरगद का पेड़ है, और मां कहती थी, ईश्वर के पद चिन्ह हैं, और पिता जीवन के होने का कोई संकेत, हर कोई कुछ न कुछ कह जाते , पर मैं कभी समझ ही नहीं पायी,बस लेटे लेटे चंद्रमा और तारों को एक टक होकर निहारती रही... कभी-कभी हमें हमारे आसपास के वातावरण में उपस्थित सभी का वास्तविक मतलब जाने बगैर भी उन्हें देखने में जो सुकून मिलती है,वो हमारी आत्मा को तृप्त कर देती है.!! जो अपने बारे में बिना कुछ कहे आपको सुकून का अहसास करा रहा हो, तो समझ जाना चाहिए, कि वो आपका हितैषी है,आपके बिना कुछ कहे, केवल देखने मात्र से ही, वो सब कुछ समझ कर आपको तृप्त कर देता हो.. और वो हर परिस्थिति में आपके साथ हो, वो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता हो... भले ही उसे आपके परछाईं बनकर ही क्यों न रहना पड़े.. जीवन की उस अंधेरी काली रात में भी एक उम्मीद की किरण बनकर रौशनी फैलाते रहे.. तो इससे ज्यादा और क्या चाहिए, वो अपनी सच्चाई नहीं बताये तो भी कोई बात नहीं..!!! –Shobha..💫 #moonlight#Thought #Shobha#Narayan_Markam