दूर से जिन पर घिनौने शब्द बरसाते है
फिर सामने आने पर जाने कैसे नजरें मिलाते है
तोड़ कर मर्यादा की सारी सीमाएं जिन पर लांछन लगाते है
अपनी चंद निजी स्वार्थ के लिए परिवार भी बीच में लाते हैं
फिर सामने आने पर जाने कैसे नजरें मिलाते हैं
चढ़ते स्टेज पर अपनी औकात भूल जाते हैं
अपने- अपने जातियों को आपस में लड़वाते है #विचार