रहन सहन को भूल कर इंसान, उड़ने लगा हवा में आज, मान सम्मान ना मर्यादा का, नहीं रहा कुछ भी ध्यान, दिखावे में जीता बन अंजान, बदलकर अपना अंदाज, खुश हैं भूलाकर संस्कार, पर भूलाकर अपना अस्तित्व, कैसे जी पायेगा इंसान। ©Priya Gour रहन सहन #Twowords #29June 7:12 #nojotowriters