उस रात कूछ ऐसा हूआ बीन मिले ही छू गया वो मूझे आँखे खामोश थी लबों पर प्यास थी उस के आगोश मे हूँ मै इस एहसास मे थी हम दोनो इतने करोब थे हवा भी दरमियां न थी सांसे तेज थी दोनो की और बस एक चादर थी हाथो मे हाथ था लब से लब टकराये थे कई सपने एक साथ चले आये थे आँखों मे पलके भी डबडबाई थी उस रात के बाद अब मै , मै न रही सूबह उठ कर बहूत शर्माई थी । chandny ©Sangeeta Verma उस रात