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उस रात कूछ ऐसा हूआ बीन मिले ही छू गया वो मूझे आँ

उस रात कूछ ऐसा हूआ 
बीन मिले ही छू गया वो मूझे 
आँखे खामोश थी
लबों पर प्यास थी 
उस के आगोश मे हूँ 
मै इस एहसास मे थी 
हम दोनो इतने करोब थे 
हवा भी दरमियां न थी 
सांसे तेज थी दोनो की 
और बस एक चादर थी 
हाथो मे हाथ था 
लब से लब टकराये थे 
कई सपने एक साथ 
चले आये थे आँखों मे 
पलके भी डबडबाई थी 
उस रात के बाद 
अब मै , मै न रही 
सूबह उठ कर बहूत शर्माई थी । 
chandny

©Sangeeta Verma उस रात
उस रात कूछ ऐसा हूआ 
बीन मिले ही छू गया वो मूझे 
आँखे खामोश थी
लबों पर प्यास थी 
उस के आगोश मे हूँ 
मै इस एहसास मे थी 
हम दोनो इतने करोब थे 
हवा भी दरमियां न थी 
सांसे तेज थी दोनो की 
और बस एक चादर थी 
हाथो मे हाथ था 
लब से लब टकराये थे 
कई सपने एक साथ 
चले आये थे आँखों मे 
पलके भी डबडबाई थी 
उस रात के बाद 
अब मै , मै न रही 
सूबह उठ कर बहूत शर्माई थी । 
chandny

©Sangeeta Verma उस रात