दिल तलबगार था तेरी मोहब्बत में तुझे अपना बनानें को हर शाम ढलती रही इन आँखों को आँसुओ में डुबा दिया और किसी की तरफ देखने से भी कतराया करते थे हम पर तूने तो अपना हमसफ़र ही किसी और को बना दिया। ©GLS Guftgoon- 'Lafzon se' #फ़रेबी_मोहब्बत 4 #reading