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बेफिक्री राहों में नादान सी ये ख्वाहीशों को साथ लि

बेफिक्री राहों में
नादान सी ये
ख्वाहीशों को साथ लिए
हिज्र की मुंतजिर हूं
अब्र का टुकड़ा हैं सपनों से भरा,
आखिर कब तक
कितनों पे बरसे?
ना जाने क्युं,
फासलों में ही अपनापन ढूंढना
अब आदत सी हो गई हैं
शायद,
तन्हाइयों की खामोशियों को
हमसे लगाव हो गया है
बेशक,
जूनुन से सुकून मिले
फिर भी,
हर हर्फ तन्हा सा हैं
जैसे,
कोई नज्म़
कोरे कागज़ पर अनलिखी हो,
और भुली भी नहीं जाती
ऐसी दास्तान अधूरी होकर भी,
अपनेआप में ही मुकम्मल हैं
एक अधूरे फसाने की तरह,
एक अनकही नज्म़ की तरह।
सिर्फ एक नगमा हैं,
प्यार का।
 हिज्र की ऊंची दीवारें।💛
#Yqhindi #Yqbaba
बेफिक्री राहों में
नादान सी ये
ख्वाहीशों को साथ लिए
हिज्र की मुंतजिर हूं
अब्र का टुकड़ा हैं सपनों से भरा,
आखिर कब तक
कितनों पे बरसे?
ना जाने क्युं,
फासलों में ही अपनापन ढूंढना
अब आदत सी हो गई हैं
शायद,
तन्हाइयों की खामोशियों को
हमसे लगाव हो गया है
बेशक,
जूनुन से सुकून मिले
फिर भी,
हर हर्फ तन्हा सा हैं
जैसे,
कोई नज्म़
कोरे कागज़ पर अनलिखी हो,
और भुली भी नहीं जाती
ऐसी दास्तान अधूरी होकर भी,
अपनेआप में ही मुकम्मल हैं
एक अधूरे फसाने की तरह,
एक अनकही नज्म़ की तरह।
सिर्फ एक नगमा हैं,
प्यार का।
 हिज्र की ऊंची दीवारें।💛
#Yqhindi #Yqbaba

हिज्र की ऊंची दीवारें।💛 #yqhindi #yqbaba