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हास्य कविता वो कितना सही था होकर मदमस्त रास्ते से

हास्य कविता
वो कितना सही था

होकर मदमस्त रास्ते से जा रहा था,
सामने से एक फूल वाला आ रहा था।

मुस्कुराते हुए मुझ पर नजर दौड़ाई ;
फूल सस्ते है , थोड़े से ले लो भाई।

फूल देखकर आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जाएगी ;
सच मे फिर आपकी सारी बाते मान जाएगी ।

छुप छुप कर मिलने का किस्सा ही खत्म हो जाएगा;
अगले ही दिन उसका बाप रिश्ता लेकर घर आ जायेगा।

मैंने इनकार में गर्दन हिलाई, 
गर्लफ्रेंड ना होने की बात उसे समझाई।

वह फिर बोला, कोई बात नही , बाबूजी
अपनी मंगेतर के लिए ही ले लीजिए,
प्यार  का पहला ही तोहफा दे दीजिए।

फूलों की खुशबू उसके तन मन मे समाएगी;
और सदा सदा के लिए आपकी बन जाएगी।

मैं मंद मंद मुस्कुराया और ,
मंगेतर न होने का भी अहसास कराया।
हास्य कविता
वो कितना सही था

होकर मदमस्त रास्ते से जा रहा था,
सामने से एक फूल वाला आ रहा था।

मुस्कुराते हुए मुझ पर नजर दौड़ाई ;
फूल सस्ते है , थोड़े से ले लो भाई।

फूल देखकर आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जाएगी ;
सच मे फिर आपकी सारी बाते मान जाएगी ।

छुप छुप कर मिलने का किस्सा ही खत्म हो जाएगा;
अगले ही दिन उसका बाप रिश्ता लेकर घर आ जायेगा।

मैंने इनकार में गर्दन हिलाई, 
गर्लफ्रेंड ना होने की बात उसे समझाई।

वह फिर बोला, कोई बात नही , बाबूजी
अपनी मंगेतर के लिए ही ले लीजिए,
प्यार  का पहला ही तोहफा दे दीजिए।

फूलों की खुशबू उसके तन मन मे समाएगी;
और सदा सदा के लिए आपकी बन जाएगी।

मैं मंद मंद मुस्कुराया और ,
मंगेतर न होने का भी अहसास कराया।
hitendradayal1448

Hitendra

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