हास्य कविता वो कितना सही था होकर मदमस्त रास्ते से जा रहा था, सामने से एक फूल वाला आ रहा था। मुस्कुराते हुए मुझ पर नजर दौड़ाई ; फूल सस्ते है , थोड़े से ले लो भाई। फूल देखकर आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जाएगी ; सच मे फिर आपकी सारी बाते मान जाएगी । छुप छुप कर मिलने का किस्सा ही खत्म हो जाएगा; अगले ही दिन उसका बाप रिश्ता लेकर घर आ जायेगा। मैंने इनकार में गर्दन हिलाई, गर्लफ्रेंड ना होने की बात उसे समझाई। वह फिर बोला, कोई बात नही , बाबूजी अपनी मंगेतर के लिए ही ले लीजिए, प्यार का पहला ही तोहफा दे दीजिए। फूलों की खुशबू उसके तन मन मे समाएगी; और सदा सदा के लिए आपकी बन जाएगी। मैं मंद मंद मुस्कुराया और , मंगेतर न होने का भी अहसास कराया।