कविताएँ पौधों की तरह होती हैं (अनुशीर्षक में पढ़ें) कविताएँ पौधों की तरह होती हैं कविताएँ पौधों की तरह होती हैं दिल में जज़्बात जड़ पकड़ते हैं, शब्दों के ज़रिए कविता हरी भरी होती है मिट्टी, पानी, हवा की तरह जब भावनाएँ मिलती हैं कविता को,