ये तेरा चरित्र हरण नहीं इस दोमुहे समाज का हैँ जो पल मे बनाता हैँ बहन बेटी पल मे ही तमाशा देखने लगता हैँ धिक्कार हैँ ऐसे समाज पर जो अपनों और परायो भेद करता हैँ इसमत सबकी एक होती हैँ बेटी तो हरदम समाज की होती हैँ बेनाम आदीम ©Hidden Eyes News Channel समाज की बेटी