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"नर-नारी" ************** रिश्तों में बंधी नारी ,

"नर-नारी"
**************
रिश्तों में बंधी नारी ,
     नर के लिए है लाचारी !!
मर्यादा का उल्लंघन करने में...
        नर ..नारी  पर है भारी !!
नारी का अंग प्रदर्शन करना ...
             है किसकी जिम्मेदारी ??
फूहड़ता का आलिंगन करना ...
               चाहता है व्यभिचारी !!
नारी देह बाजार बन गया..
        केवल पुरुष ही है व्यापारी !!
पुरुषों के संरक्षण में ही ..
              नारी    बनी    बेचारी !!
पिता  पति और भाई के होते..
          अस्मत नारी की हो गई खारी !!
जब खारापन आँखों में खटका तो.
           नारी-परिधानों पर सुधि भारी !!
क्यों ? नजरों में परिधान खटकता..
         मन का संयम नर क्यों? न पकड़ता ..!!
चरित्र यहाँ किसका?? बलशाली..!!
             कौन है ??नैतिकता से खाली ..!!
परिधानों पर. न .प्रश्न चिन्ह लगाओ ..
          मन को संयम से वश में करना सिखाओ               
नारी  पतित  कभी  न  हो . पाए....
         नर अगर सदाचारी  हो जाए!!
          नर अगर सदाचारी हो जाए !!
   लेखिका--प्रतिभा द्विवेदी उर्फ "मुस्कान"©
     सागर मध्यप्रदेश (30 दिसंबर 2018)
मेरी रचना स्वरचित व मौलिक व प्रमाणिक है.।
कॉपीराइट के सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद .। #नरनारी #प्रतिभाउवाच #लेखिकाप्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटोहिंदी #नोजोटोआफीसियल लेखिका प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश की पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक पंक्तियाँ kavya Kumari Khushbu shivani Nikita  kruti parmar
"नर-नारी"
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रिश्तों में बंधी नारी ,
     नर के लिए है लाचारी !!
मर्यादा का उल्लंघन करने में...
        नर ..नारी  पर है भारी !!
नारी का अंग प्रदर्शन करना ...
             है किसकी जिम्मेदारी ??
फूहड़ता का आलिंगन करना ...
               चाहता है व्यभिचारी !!
नारी देह बाजार बन गया..
        केवल पुरुष ही है व्यापारी !!
पुरुषों के संरक्षण में ही ..
              नारी    बनी    बेचारी !!
पिता  पति और भाई के होते..
          अस्मत नारी की हो गई खारी !!
जब खारापन आँखों में खटका तो.
           नारी-परिधानों पर सुधि भारी !!
क्यों ? नजरों में परिधान खटकता..
         मन का संयम नर क्यों? न पकड़ता ..!!
चरित्र यहाँ किसका?? बलशाली..!!
             कौन है ??नैतिकता से खाली ..!!
परिधानों पर. न .प्रश्न चिन्ह लगाओ ..
          मन को संयम से वश में करना सिखाओ               
नारी  पतित  कभी  न  हो . पाए....
         नर अगर सदाचारी  हो जाए!!
          नर अगर सदाचारी हो जाए !!
   लेखिका--प्रतिभा द्विवेदी उर्फ "मुस्कान"©
     सागर मध्यप्रदेश (30 दिसंबर 2018)
मेरी रचना स्वरचित व मौलिक व प्रमाणिक है.।
कॉपीराइट के सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद .। #नरनारी #प्रतिभाउवाच #लेखिकाप्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटोहिंदी #नोजोटोआफीसियल लेखिका प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश की पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक पंक्तियाँ kavya Kumari Khushbu shivani Nikita  kruti parmar