"मेरी पहली कविता" (पूरी कविता अनुशीर्षक में टैप करके पढ़े) रात पौष की वो रात थी नींद में खड़े थे हम। डटे थे हम, बढ़े थे हम। प्यास में लहू पिये , अधर्म भी तो हम किये।