और यकीन मानो ख़ुदा बिखरे रहने में सुकून इस उम्मीद की रहती है कि किसी जन्म में तुम भी मुझे समेटोगे बिल्कुल मेरी मां की तरह ...! -Anjali Rai FULL STORY IN THE CAPTION ❤️ मेरा अल्हड़ पन देख कर मां हमेशा झुंझलाती हैं कि इतना बिखेर के क्यूं रखती है सब कुछ आज तक कभी खुद को समेटना नहीं सीखा ... और ये खिड़की हमेशा खुली क्यूं रखती है सारा कमरा बिखर जाता है