मेरी सुबह बनके आती हो तुम मुझे नए रास्ते दिखाती हो तुम प्यार में ये सब कैसे होता है बोलो डगमगाता मैं हूँ चोट खाती हो तुम तेरी आँखों की चमक से रोशन है तेरी मुस्कुराहटें जीवन है दर्द भरी इस दुनिया को मेरी सुकून दे जाती हो तुम। मेरी ख़ामोशी में तुम रम गई हो मेरी धड़कनों को आवाज़ दे जाती हो तुम वो कहते हैं नया नया प्यार है शायद! मुझे मुद्दतों पुराना एहसास दे जाती हो तुम सुनो!तुम कोई ओस की बूंद नहीं न फूलों से आने वाली ख़ुश्बू हो न मेरी किसी सुंदर कल्पना का अस्तित्व पर आभास को वास्तविकता दे जाती हो तुम। ---------–------------ दिव्यांशु पाठक ♥️ Challenge-796 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।