थक कर जब, रूठा ख़ुद के नसीब से,, ना किय़ा कोई शिकवा, उस क़िस्मत -ए -रकीब से, --- -- फिर से झाड़ी मिट्टी मेरे मटमैले दामन से, फिर से ली उड़ान उस नाकामी के आँगन से!! comming soon