Middel class family हम 'मिडिल क्लास फैमिली' वाले भी ना ऑलराउंडर होते हैं। यह जो 'जुगाड़' नामक शब्द है ना! उसे बस हम ही समझ पाते हैं। बात सुई से लेकर मोबाइल या लैपटॉप तक की हो, जब ये खराब हो जाए तो हम खुद मैकेनिक बन जाते हैं; अगर खुद से रिपेयर नहीं भी हुआ तो उसके अंदर क्या-क्या सिस्टम है, इसकी नॉलेज चुटकियों में पा जाते हैं। टीवी का रिमोट खराब हो तो उसे ठोक-पीटकर ही सही कर लेते हैं। जहां उच्च वर्गीय लोग पिज्जा 'टेक-अवे' करते वक्त जो ₹15 का 'कैरी बैग' लेते हैं ना! उस ₹15 में हम सुबह दो समोसे खा कर, ब्रेकफास्ट कर लिया करते हैं। होली, दीवाली, रक्षाबंधन; हमारे लिए ये सिर्फ त्यौहार ही नहीं होते बल्कि 'खुशियों का मेला' कहलाते हैं। हम 'मिडिल क्लास फैमिली' वाले पैसों से कहीं ज्यादा अहमियत, अपने रिश्तों को देते हैं।