दहशत भरी ये गर्द-ओ-ग़ुबार है किसने उड़ाई। चारों तरफ दहशतगर्दी की जो ये आँधी है आई। चैन-ओ-सुकूँ खोया है, इंसां को वो क़रार कहाँ। जुबाँ खामोश है सबकी, कैसी ये लगन लगाई। 👉🏻 प्रतियोगिता- 227 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"गर्द"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I