तुमसे मिलन की चाह लिए हम हर लम्हा जी रहे अपनी बेचैनियों की अब क्या हम तुमसे कहें होगा ये ख्वाब इक दिन ज़रूर पूरा हमारा अभी दूरियों की तड़प हम हैं सह रहे मिलोगे तो बयां करेंगे अपना हाल-ए-दिल मिलते ही लगा लेंगे हम तुमको गले 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा" 🔴 "दोस्तों आप लोग अपनी रचना, 4 या 6 पंक्तियों में ही