तुम झील तो मैं कोई साहिल हूँ, तुम झील तो मैं कोई साहिल हूँ, तुम साँझ तो में कोई चाँद हूँ तुम नदी तो मैं कोई नाव हूँ तुम याद तो मैं कोई ख्बाब हूँ डॉ.अजय मिश्र