उड़ीसा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहे हैं इस क्रम में यहां के सुंदरगढ़ जिले के मालपुरा गांव में ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव प्रतिनिधियों से मौखिक और लिखित परीक्षा लेकर उसमें उत्तीर्ण हुए उम्मीदवारों को ही पंचायत चुनाव में दावेदारी प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयोग किया है इससे लोकतंत्र का नया चेहरा देखने को मिला है कानून और सार्वजनिक प्रधानों में इधर इस कदम को ग्रामीण अपने विकास के प्रति जागरूकता और और अपने वोट की अहमियत और उम्मीदवारों का राजनीतिक दायित्व सुनिश्चित करने के क्रम में महत्वपूर्ण मानते हैं उनके द्वारा उम्मीदवारों से पूछे गए सवाल वर्तमान दौर की राजनीति चलन अपेक्षा की व्यवस्था से उपजी व्यवहारिक समस्याओं पर निर्धारित है ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या यह वर्तमान राजनीति भागीदारी व्यवस्था और दायित्वों के प्रति असंतोष और प्रतिनिधि चुनाव वादों के प्रति अविश्वास का परिणाम है यह मतदाताओं की जागरूकता वोट का महत्व राजनीति समझ और विकास के प्रति सकारात्मक सोच का आसार है या फिर उम्मीदवारों की सभी माताओं को भापकर उत्तीर्ण उम्मीदवारों को ही चुनाव में उम्मीदवारी पेश करने की सावधानी और कानून दायरों से इतर रास्ता अपनाया है दरअसल पंचायतों की राजनीति और उनके चुनाव के मतदाता व्यवहार की प्रकृति का अलग किस्म की होती है जहां प्रत्येक व्यक्ति की सहायता गीता दलीय राजनीति से इतर व्यक्तियों गधे तौर पर उम्मीदवारी जिम्मेदारी और विकास कार्य में भागीदारी रही है ©Ek villain #प्रत्याशी चयन की पारदर्शी प्रक्रिया #Rose