बहाओ ना ये आँसू तुम, यूँ रो नही सकते । हो करोड़ो आस् के सूरज, उम्मीदे अब भी कायम है । कहदो अँधेरी रात को, मै कल फिर आऊँगा । छुटि थी जो दुरी, उसे मै कल मिटाऊंगा । इतरा रहा है चाँद अगर, तुम घूर के कहदो । मै दीपक वसुन्धरा का, तेरे आँगन जलाऊंगा । @$रोहित सैनी$.....