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लड़खड़ा रहे हैं कदम इश्क़ की राह पर हमारे, सनम सनम क

 लड़खड़ा रहे हैं कदम इश्क़ की राह पर हमारे,
सनम सनम कह कर हृदय यूँ ही तुम्हें पुकारे..!

कि भटक न जाएँ हम तड़प तड़प कर प्यारे,
संभल सकें हम भी तुम्हारी बाहों के सहारे..!

अरमाँ बने हैं बुझे बुझे से दीपक यूँ भी,
जलना चाहें इश्क़ की लौ बन तुम्हारे..!

मेरी जीवन कि काली रात में तुम,
अम्बर के सदैव बन के रहो यूँ तारे..!

धरा से आसमान तक ख़्वाब ही ख़्वाब सारे,
करीब हो जाऊँ मैं चाँद बन लगे बड़े ही न्यारे..!

ज़िन्दगी तेरी रौशन कर ख़ुद को भी सँवारे,
आईने में देखें ख़ुद को और तुझे ही निहारें..!

©SHIVA KANT
  #ladkhadarhehainkadam