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लेखक संतोष राठौर तेरी जुल्फो को मै शाम कहता रजिस्

लेखक संतोष राठौर 
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता
रजिस्टर क्रमांक 32895
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता
बाकी किस्सा तमाम कहता 
अरे ये क्या ???
तूने तो इसे काट डाली हैं 
काटकर बहुत छोटी बना ली है 
दिल बडा घबराहट मे रहता...
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता....

हर घडी दिल बडी हडबडाहत मे रहता 
अब तो ये गालो पर भी कुछ ना कहता...
जुबा पे तेरा नाम रहता और 
एक हाथ मे जाम रहता 
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता...

पूरे मूड की बैंड बजा डाली हैं 
वो गजल भी अब बदल डाली हैं 
वो शायरी भी अब मैने फाड डाली है
कब तक मै सदमे मे रहता 
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता
दिल बेचारा अब भी कुछ ना कहता....
-संतोष

©Mission for Passion to change to INDIA तेरी जुल्फो को मै शाम कहता...-संतोष 
#mehngaai
लेखक संतोष राठौर 
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता
रजिस्टर क्रमांक 32895
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता
बाकी किस्सा तमाम कहता 
अरे ये क्या ???
तूने तो इसे काट डाली हैं 
काटकर बहुत छोटी बना ली है 
दिल बडा घबराहट मे रहता...
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता....

हर घडी दिल बडी हडबडाहत मे रहता 
अब तो ये गालो पर भी कुछ ना कहता...
जुबा पे तेरा नाम रहता और 
एक हाथ मे जाम रहता 
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता...

पूरे मूड की बैंड बजा डाली हैं 
वो गजल भी अब बदल डाली हैं 
वो शायरी भी अब मैने फाड डाली है
कब तक मै सदमे मे रहता 
तेरी जुल्फो को मै शाम कहता
दिल बेचारा अब भी कुछ ना कहता....
-संतोष

©Mission for Passion to change to INDIA तेरी जुल्फो को मै शाम कहता...-संतोष 
#mehngaai