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इतना न इतरा मानुष अपनी इस नस्वर देह पर माटी का पुत

इतना न इतरा मानुष अपनी इस नस्वर देह पर
माटी का पुतला है वापस ख़ाक में मिल जाना है

बनाना है पहचान तो अपने चरित्र को निखार
इक यही है जो दिलों में रचता तेरा फ़साना है

क्यों बर्बाद कर रहा है जीवन काश और परंतु में 
जो जीवन तुझे मिला है वो भी लाखों को पाना है

क्या कर नहीं सकता तू अपने मजबूत इरादों से 
काश और परंतु में उलझना महज़ एक बहाना है

#चौबेजी
इतना न इतरा मानुष अपनी इस नस्वर देह पर
माटी का पुतला है वापस ख़ाक में मिल जाना है

बनाना है पहचान तो अपने चरित्र को निखार
इक यही है जो दिलों में रचता तेरा फ़साना है

क्यों बर्बाद कर रहा है जीवन काश और परंतु में 
जो जीवन तुझे मिला है वो भी लाखों को पाना है

क्या कर नहीं सकता तू अपने मजबूत इरादों से 
काश और परंतु में उलझना महज़ एक बहाना है

#चौबेजी
choubeyjii6354

Choubey_Jii

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