कुछ बीत गया अरसा, कुछ वक़्त बिताना बाकी है मुझे तुम याद हो, तुम्हे मुझे भूलना बाकी है रह गई मुझे मंज़िल की चाहत, मुझे मोहब्बत पाना बाकी है अब मैं हूँ तेरा गुजरा हुआ कल, बस निशा मिटाना बाकी है थी चाहत तुझे दौलत की, मुझे मोहब्बत काफी है खत्म तो था कब का मैं, बस तेरा कफ़न पहनाना बाकी है कुछ बीत गया अरसा, कुछ वक़्त बिताना बाकी है॥॥ #Nojoto #Alfaaz #Hindi_Poem