दर बदर फिरता रहा जिस शख्स की तलाश में बाद मुद्दत के वो आया आखिरश प्रकाश में वो निगाहे तेज तर वो अक्ल की बालीदगी वो डालता है अपनी मेहनत से कमंद आकाश में जिनकी मंज़िल हो बड़ी वो छोटा दिल रखते नहीं धुंध को वो मात देकर आते हैं प्रकाश में बे बसी कहते हैं किसको उस परिंद से पूछ लो जो कैद हो पिंजरे में पिंजरा हो खुले आकाश में ज़ुल्म कोई गर करे तो माफ़ करना है सवाब ज़ुल्म ना करना कभी तुम ज़ुल्म के पादाश में आओ मिलकर इक जहांने ताज़ा हम पैदा करें ज़िन्दगी का सूर फूंके नेशन की मुर्दा लाश में अपनी मंज़िल को चलो तुम कारवां की शक्ल में हर राह पर बैठे हैं रहजन बे बस की तलाश में Internet Jockey Havaruni Dueby Bina Babi Divya Joshi Sahiba Sridhar #nojoto#poem#shayari#nazar#emotion#nation#quotes