आई शुभ घड़ी आधी रात मथुरा नगरी, जन्मे कृष्ण-कन्हैया यशोदा के अँगना, तेज़ तूफ़ान में, शेषनाग का ताज बनाया अपनी नटखट अदाओं से सबको अपना बनाया, माखन चुराकर, गोकुलवासीयों को भरमाया मधुबन में राधा संग अपना प्रेम रास रचाया, गोपियों को बाँसुरी की धुन पर नचाया, वृन्दावन में रास-लीलाओं से राधा को रिझाया, अपने पराक्रम से मथुरा को कंश से मुक्त कराया, खाकर उसने दो मुठ्ठी चावल के दाने, अपनी बचपन की यारी का फ़र्ज निभाया, जिस द्रौपदी ने उसको, अपना भाई बनाया भरी महफ़िल में उसने, उसका सम्मान बचाया जिसने अर्जुन को अपने हक़ के लिए लड़ना सिखाया, उसने ही युद्धभूमि में, गीता का पवित्र पाठ पढ़ाया जब-जब कलयुग में बढ़ा अधर्म का साया तब-तब वो नए अवतार में हमारा उद्धार करने आया आई शुभ घड़ी आधी रात मथुरा नगरी, जन्मे कृष्ण-कन्हैया यशोदा के अँगना, तेज़ तूफ़ान में, शेषनाग का ताज बनाया अपनी नटखट अदाओं से सबको अपना बनाया, माखन चुराकर, गोकुलवासीयों को भरमाया मधुबन में राधा संग अपना प्रेम रास रचाया, गोपियों को बाँसुरी की धुन पर नचाया, वृन्दावन में रास-लीलाओं से राधा को रिझाया,