सन्यासी, फ़कीर, बहते पानी का ठिकाना है कहाँ? हम जैसे आशिकों का आशियाना है कहाँ? पंछी ,शामें इधर-उधर गुज़ार लेता है पर सुबह का पता नहीं जाना है कहाँ? पंछी , शामें इधर-उधर गुज़ार लेता है पर सुबह का पता नही जा है कहाँ? #abhishekawaara #shayarabhishek #jazbaat #Adhoorimohabbat #pagalshayar #Tanhai #gham #urduadab #urdupoetry #hindi_poetry