आगाज नये सफर का कर दिया है, अभी अंजाम तक ले जाना बाकी है। डरना नहीं है अंधियारों से, खुद को जलाकर राह का दीपक बनना है। कर्म की आग में खुद को तपाकर कुंदन की तरह चमकाना है। आत्मविश्वास से आसमां की बुलंदियों पर पहुंचकर नाम रोशन करना है। -"Ek Soch" BKJ D-4 "आग़ाज़ नये सफ़र का" समय सीमा : (10:00-10:30)PM दिनाँक : 28.09.2020 शब्दसीमा : 50 शब्द, कोई पंक्ति सीमा नहीं। #yqbaba #yqbaba #आगाज़ #YourQuoteAndMine Collaborating with ब्रज काव्य जगत