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कुछ रजवाड़े मान चुके थे जब मुगलों को बाप तब दिल्ली

कुछ रजवाड़े मान चुके थे 
जब मुगलों को बाप
तब दिल्ली को कपा रही थी
 "चेतक सा" की टाप...
जिसने संस्कृति के सूत्र को
अंतिम स्वास तक जोड़ा था
मनुज नहीं कोई वो मेवाड़ी 
राणा जी का घोड़ा था...
अर्चना'अनुपमक्रान्ति'

©Archana pandey
  #चेतक_सा🙏

चेतक_सा🙏 #कविता

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