डर से कांपे वो .. जहा दूषित सोच जन्म ले ! दरिंदों को ! बर्बरता का खेल ऐसा दिखा दे ! ये दुर्दशा है कैसी ? भारत की हर बेटी इंसाफ़ चाहें ! जो गुहार लगाती न्याय को .. आधी रात में जला दें । तड़पे आखरी दम तक ! पापियों को ऐसी सजा मिले .. याद है बयान मनीषा का ... इसे साज़िश का नाम ना दे । बद्दुआ समाज को ....! ऐसी मानसिकता को आग लगा दे ! #yqhindipoetry #yqjusticeformanisha याद है बयान मनीषा का इसे साज़िश का नाम ना दे