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डर से कांपे वो .. जहा दूषित सोच जन्म ले ! दरिंदों

डर से कांपे वो ..
जहा दूषित सोच जन्म ले !
दरिंदों को !
बर्बरता का खेल ऐसा दिखा दे !
ये दुर्दशा है कैसी  ?
भारत की हर बेटी इंसाफ़ चाहें !
जो गुहार लगाती न्याय को ..
आधी रात में जला दें ।
तड़पे आखरी दम तक !
पापियों को ऐसी सजा मिले ..
याद है बयान मनीषा का ...
इसे साज़िश का नाम ना दे ।
बद्दुआ समाज को ....!
ऐसी मानसिकता को आग लगा दे ! #yqhindipoetry  #yqjusticeformanisha 
याद है बयान मनीषा का इसे साज़िश का नाम ना दे
डर से कांपे वो ..
जहा दूषित सोच जन्म ले !
दरिंदों को !
बर्बरता का खेल ऐसा दिखा दे !
ये दुर्दशा है कैसी  ?
भारत की हर बेटी इंसाफ़ चाहें !
जो गुहार लगाती न्याय को ..
आधी रात में जला दें ।
तड़पे आखरी दम तक !
पापियों को ऐसी सजा मिले ..
याद है बयान मनीषा का ...
इसे साज़िश का नाम ना दे ।
बद्दुआ समाज को ....!
ऐसी मानसिकता को आग लगा दे ! #yqhindipoetry  #yqjusticeformanisha 
याद है बयान मनीषा का इसे साज़िश का नाम ना दे

yqhindipoetry  #yqjusticeformanisha याद है बयान मनीषा का इसे साज़िश का नाम ना दे