हर ऊँचे नीचे रास्तों को तुमने जाना है, ईश्क़ की हर गहराई को तुमने नापा है। लिबासों में लिपटी रूह को पहचाना है, शायद ज़िस्म ने तुम्हें ही अपना माना है। हर ऊँचे नीचे रास्तों को तुमने जाना है, ईश्क़ की हर गहराई को तुमने नापा है। लिबासों में लिपटी रूह को पहचाना है, शायद ज़िस्म ने तुम्हें ही अपना माना है।